हेलीकॉप्टर पेरेंटिंग क्या है? (What is helicopter parenting in Hindi) हेलीकॉप्टर पेरेंटिंग से 5 होने वाले नुकसान और फायदे कौन से है।
माता-पिता अपने बच्चे के अच्छे भविष्य के लिए उनके हर कदम ,कार्य और फैसले में जरूरत से ज्यादा दखल देते है, उन्हे ऐसा लगता ही उनका बच्चा अपने से हर काम को नही कर सकता। इस प्रकार की परवरिश हेलीकॉप्टर पेरेंटिंग के अंतर्गत आती है। सर्वप्रथम 1969 में डॉ हेम गिनोट अपनी बुक (Between parents and teenagers) में हेलीकॉप्टर पेरेंटिंग का प्रयोग किया था। माता-पिता का मकसद बच्चों के हर कदम ,फैसले में उनकी अच्छे से परवरिश करना होता है, जिससे उनका बच्चा भविष्य में हर क्षेत्र में सफल रहे ,जिस कारण वे बच्चो के हर एक्टिविटीज पर अपना ही फैसला लेने लगते है, परंतु ऐसा करने से वे धीरे-धीरे हेलीकॉप्टर पैरेंट बनते जाते है। जिसकी जानकारी उनको भी नही होती है।
हेलीकॉप्टर पेरेंटिंग के प्रकार | Types of Helicopter parenting
क्या आप जानते है कि हेलीकॉप्टर पेरेंटिंग कितने प्रकार के होते है? हेलीकॉप्टर पेरेंटिंग एक प्रकार की पेरेंटिंग शैली है जिसमे पैरेंट बच्चों के भविष्य की भलाई के लिए उनकी लाइफ में दखल देते है। इस पेरेंटिंग शैली का चलन भारत में भी बहुत तेजी से बढ़ गया है। हेलीकॉप्टर पेरेंटिंग तीन प्रकार के होते है –
1. टोही हेलीकॉप्टर पैरेंट –
टोही हेलीकॉप्टर पैरेंट अपने बच्चो की परवरिश एक दोस्त की भांति करते है वे अपने बच्चो की जिन्दगी में ज्यादा दख़ल नही देते है लेकिन वे उनपर दूर से नजर रखते हैं।वे बच्चो की पढ़ाई कॉलेज चुनना तथा करियर चुनने में सलाह देते है। वे काफी विनम्र,उदार और सपोर्टिव प्रवृति के होते है।
2. कम ऊंचाई वाले हेलीकॉप्टर पैरेंट –
ऐसे हेलीकॉप्टर पैरेंट बच्चों पर सख्त और नम्र भी होते है।वे अपने बच्चों की बखूबी जिम्मेदारी निभाते है इसके लिए वे उनकी पढ़ाई ,करियर को चुनने में काफी सक्रिय रहते है जिसके लिए वे स्कूल या कॉलेज में भी सम्पर्क करके वहां की जानकारी लेकर पर निगरानी रखते है।
3. गुरिल्ला वेलफेयर हेलीकॉप्टर पैरेंट –

ऐसे पेरेंट्स सबसे ज्यादा सख्त होते है। वे बच्चो पर हेलीकॉप्टर की तरह मंडराते हुए निगरानी रखते है। ये उनकी जिंदगी में सबसे अधिक दखल देते है। ये बच्चो की हर छोटी से छोटी बातों पर निगरानी रखते और इंटरफेयर करते है। वे दोस्तो को चुनने से लेकर हर कमी में अपने फैसले को थोपने लगते है।
हेलीकॉप्टर पेरेंटिंग से बच्चों और पैरेंट को नुकसान और कुछ फायदे भी हो सकते है।
नुकसान
- आत्मविश्वास में कमी
- पैरेंट पर निर्भर होना
- चुनौतियों का सामना न कर पाना
- पैरेंट से नफरत करना
- अवसाद का शिकार होना
आत्मविश्वास में कमी –हेलीकॉप्टर पैरेंट के बच्चों का शारीरिक, मानसिक, सामाजिक का पूर्ण विकास नही हो पाता है, जिससे उनमें आत्मविश्वास की कमी हो जाती है और वे किसी भी कंपटीशन या प्रतियोगिता में भाग लेने से कतराते है।
पैरेंट पर निर्भर होना – ऐसे माता -पिता अपने बच्चो को इस तरह बना देते है कि बच्चे उन पर ही आश्रित हो जाते है। बच्चे अपने जीवन की छोटी से छोटी समस्या को भी सुलझा के लिए अपने परेंट का ही सहारा लेते है। जिस कारण उन्हें जिम्मेदारियों का भी एहसास नहीं होता और उन्हें किशोरावस्था होने पर कई कठिनाइयों का सामना भी करना पड़ता है।
चुनौतियों का सामना न कर पाना– ऐसे बच्चें की परवरिश ऐसी हुई होती है कि उनकी हर चुनौतियों का सामना खुद करने से पहले उनके माता -पिता करते है जिससे उनको इस बात एहसास ही नही होता है। लेकिन जैसे-जैसे वे बड़े होते है वे चुनौतियों का सामना करने में सक्षम नही होते है।
पैरेंट से नफरत करना – ऐसे पैरेंट जब अपने बच्चो को हर वक्त रोकते-टोकते रहते है, और उनके हर कार्य में अपने फैसले को लेने लगते है। जिससे बच्चे अपने आप को आजाद महसूस नही करते है और वह माता-पिता को अपना ही सबसे बडे दुश्मन मानने लगते है जिससे वे समय के साथ धीरे-धीरे उनसे नफरत भी करने लगते है।
अवसाद का शिकार होना – कई बार ऐसे पैरेंट अपने बच्चो का कंपेयर दूसरे बच्चो के साथ भी करते है और हमेशा उन्हे demolish करते है जिस कारण बच्चे मे हीनभावना होने लगता है और उसे लगता है कि वह अपनी जिंदगी में कुछ भी नही कर सकता जिससे वह अवसाद का शिकार हो जाता है और वह डिप्रेशन में रहने लगता है।
फायदे –
- बुरी संगत में न पड़ना
- पैरेंट को इसका लाभ
- कैरियर चुनने में मदद
बुरी संगत में न पड़ना – पैरेंट अपने बच्चों की परवरिश में कोई कमी नही करना चाहते है जिस कारण वह ऐसे पैरंट बन जाते हैं जिसमें अपने बच्चों पर कई बंदिशे लगाकर उनपर निगरानी रखते है। इससे बच्चे के अच्छा एक फ्रेंड ग्रुप बनता है और वह बुरी संगत से बच जाता है।
पैरेंट को इसका लाभ – इस प्रकार की परवरिश से बच्चों की अपेक्षा पैरेंट को ही ज्यादा लाभ मिलता है। बच्चों की जिंदगी में दखल देने से उन्हे बच्चों की सारी गतिविधियों के बारे में जानकारी रहती है।
कैरियर चुनने में मदद – बच्चे अपने कैरियर को चुनने को लेकर काफी कन्फ्यूज रहते है ।ऐसे पैरेंट कैरियर के बारे में पूरी सर्च करते हैं जिससे वे हमेशा अपने बच्चो के कैरियर चुनने में मदद करते हैं।
निष्कर्ष –आज के बदलते परिवेश में माता -पिता एक ऐसी पेरेंटिंग शैली को अपनाए जिसमे वे बच्चे की पालन पोषण अच्छे मित्र की भांति करे जिससे सकारात्मक, सुरक्षात्मक और भयमुक्त ऊर्जा से परिपूर्ण वातावरण का विकास होगा और बच्चे अपने को सहज महसूस करेंगे।
Author
- Kiran is a mother, teacher and author. She is postgraduate in Education and History. She writes on issues of child education, parenting, working women’s issues, life style, and more.
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