10 Women’s rights in India । जाने 10 भारतीय महिला अधिकार कानून

Women’s rights in India।10 भारतीय महिला अधिकार और सुरक्षा कानून कौन से है ? भारतीय महिला के लिए कौन-कौन से कानूनी अधिकार है?

आधुनिकता के इस दौर में पुरुषो से कदम से कदम मिलाकर महिलाएं हर क्षेत्र में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे रही है जिस कारण देश का विकास भी बहुत ही तेज़ी से हो रहा है,परंतु कई बार महिलाओं को उनके अधिकार और सुरक्षा कानून की जानकारी के अभाव में उन्हे पुरुषों द्वारा हुए उत्पीड़न और पक्षपात को भी सहना पड़ता है।क्या आपको पता है कि महिलाओ के कितने अधिकार होते है ?इस लेख में महिलाओं के 10 अधिकार के बारे जानकारी दी गई

समानता का अधिकार

वर्तमान समय में महिलाएं दुनियाभर में आर्थिक, सामाजिक, राजनैतिक क्षेत्रों में अपना वर्चस्व स्थापित कर रही हैं,परंतु पुरुष प्रधान समाज और रूढ़िवादी परम्परा के कारण महिलाओं को शोषित भी किया जाता रहा है। इसी कारण नारी सशक्तिकरण को बढ़ावा और समाज में समानता लाने के लिए भारतीय संविधान में अनुच्छेद 15 भाग 3 में राज्य सरकार को अधिकार देता है कि महिलाओं के लिए विशेष कानून बना पाए जिससे उनका उत्थान हो सके।

समान वेतन का अधिकार

भारतीय सरकार ने 8 मार्च 1976 को एक अधिनियम जारी किया गया। इस अधिनियम के तहत किसी भी काम करने वाले कर्मचारियों को उनके लिंग के आधार पर वेतन में भेदभाव नहीं किया जाएगा। इसका मुख्य उद्देश्य महिलाओं को समान काम के लिए समान वेतन का अधिकार दिया गया है।

घरेलू हिंसा के खिलाफ अधिकार

Right against domestic violence

महिला के पारिवारिक सदस्यों द्वारा उसका आर्थिक, सामाजिक और मानसिक उत्पीड़न करना घरेलू हिंसा है। इससे पीड़ित महिलाओं को संरक्षण और कानूनी सहायता देने के लिए भारत की संसद द्वारा पारित अधिनियम को 26 अक्टूबर 2006 को महिला संरक्षण अधिनियम 2005 लागू किया गया।

ऑफिस में हो रहे यौन उत्पीडन के खिलाफ आवाज उठाने का अधिकार

ऑफिस या कार्यस्थल पर महिलाओं के साथ उनके अधिकारियों या सहकर्मियों द्वारा यौन उत्पीड़न या अश्लील व्यवहार किया जाता है जिससे महिलाएं मानसिक रूप से पीड़ित रहती हैं। इस कारण भारत सरकार ने महिलाओं को कानूनी सहायता देने के लिए निवारण, निषेध एवं निदान अधिनियम लाया गया। इसके तहत महिलाओं के साथ हो रहे यौन उत्पीड़न के खिलाफ अधिकार दिया गया।

संपति का अधिकार

पुरुष प्रधान देश होने के कारण पुरुषों की धारणा है कि महिलाओं की विवाह हो जाने के बाद उनका पिता की संपत्ति पर कोई अधिकार नही हो सकता।इस धारणा को बदलने के लिए भारतीय संसद ने हिंदू उत्तराधिकार (संशोधन) अधिनियम, 2005 के तहत पिता की संपत्ति पर पुरुष और महिला दोनो का अधिकार कर दिया गया जिससे लैगिग भेदभाव न हो।

महिलाओं को रात में गिरफ्तार न करने का अधिकार

भारतीय संविधान ने महिलाओं के अधिकार को लेकर एक विशेष प्रावधान दिया है ।दंड प्रक्रिया संहिता सीआरसीपी के धारा 46 में किसी भी असाधारण परिस्थिति के अलावा किसी महिला को सूर्यास्त के बाद तथा सूर्योदय से पहले गिरफ्तार नहीं की जाएगी। किसी खास मामले में शीर्ष श्रेणी के मजिस्ट्रेट के आदेश से महिला पुलिस द्वारा संभव है।

महिलाओं को मुफ्त कानूनी मदद का अधिकार

भारतीय संविधान में घरेलू हिंसा,बलात्कार से पीड़ित महिलाओं को मुफ्त कानूनी मदद देने के लिए अनुच्छेद 39 व (National legal services authority ) राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम 1987 कि धारा 12 में अधिकार दिया गया है।

वर्चुअल शिकायत दर्ज करने का अधिकार

भारतीय कानून में पीड़ित महिला को अप्रत्यक्ष रुप से ईमेल के द्वारा अपनी शिकायत दर्ज कराने का अधिकार दिया है। उत्तर प्रदेश में वूमेन पावर लाइन 1098 की वेबसाइट पर उत्पीड़ित महिला शिकायत दर्ज करा सकती हैं।

मातृत्व अवकाश का अधिकार

Maternity leave

मातृत्व अवकाश संशोधित बिल 2017 के तहत कार्यरत महिला कर्मचारी डिलीवरी के बाद अपने बच्चे के देखभाल के लिए उन्हे वैतनिक मातृत्व अवकाश लेने का अधिकार प्राप्त है इस दौरान उन्हें पूरी सैलरी मिलेगी।

उत्पीड़ित महिला की पहचान को गुप्त रखने का अधिकार

भारतीय संविधान में महिलाओं की सुरक्षा के लिए कई कानून और अधिकार प्राप्त है। यौन शोषण से पीड़ित महिला को अपनी पहचान और जानकारी को गुप्त रखने का अधिकार है। यदि कोई जानकारी को उजागर करने का काम करता है तो उनके खिलाफ IPS कि धारा 228A के तहत दो साल की सजा दी सकती है।

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