बच्चे से कभी न कहे ये बाते | Don’t ever say these things to your Child in Hindi

बच्चे को कैसे अनुशासित करे | बच्चे से कभी न कहे ये बाते | कैसे एक माँ ने पढाई में कमजोर अपने बच्चे को द ग्रेट साइंटिस्ट बनाया |

कोई भी बच्चा कमजोर नहीं होता है, बल्कि हर बच्चा अलग होता है | अक्सर देखा गया है कि लोग अपने बच्चे को अनुशासित करने के लिए, उसकी तुलना अपने पडोसी के बच्चे से करते है | अपने बच्चे के लिए अनुचित भाषा का प्रयोग करते है | कुछ लोग तो उससे भी आगे, गुस्से में पिटाई भी कर देते है | कही आप तो ऐसा नहीं कर रही है ?

अभी कुछ दिन पहले की घटना है, मुझे अपने एक खास दोस्त के बच्चे की बर्थडे पार्टी में जाना था | ठंढ का समय था स्कूटी से जाना मे ठीक नहीं था | कार से जाना ही उचित समझा | मेरे साथ मेरे ही परिवार की एक बेटी जो कि अपने 8 साल के बेटे को साथ लिए हुई थी | उसका भाई कार चला रहा था और उसकी ही भाभी उसके साथ बैठी थी | हमें पार्टी में जाने और वापस आने में करीब 2 घंटे का समय लगा | सब सदस्य एक ही परिवार के थे तो आपस में बाते करते जा रहे थे |

उस 2 घंटे के दौरान छोटे बच्चे की माँ ने, उसकी मामी ने, और उस बच्चे के मामा ने उस बच्चे के बारे क्या-क्या बोला ……..

“ तू तो गधा है ’’

“ तुझे अक्ल नहीं है ’’

“ तू बड़ा होकर भी गधा ही रहेगा ’’ ……..

करीब करीब 35 बार बोला होगा |

बच्चे से कभी न कहे ये बाते

  • तुझे अक्ल नहीं है |
  • तुम्हें खुद पे शर्म आनी चाहिए |
  • तुम बिल्कुल अपने माँ/बाप की तरह हो |
  • तुम हमेशा मुझे परेशान करते रहते हो |
  • तुम्हारे जैसा बच्चा होने से अच्छा है बच्चा ही न हो |
  • तुझे कुछ नहीं आता है |
  • पढाई तुम्हारे बस कि नहीं है |
  • मन करता है तुझे छोड़ कर कही चली जाऊ |
  • तुम हमेशा मेरी बेज्जती कराते रहते हो |

एक अध्यापिका होने के नाते, मै उस बच्चे के मनोदशा का बिल्कुल सही अनुमान लगा पा रही थी | उनकी बातो को सुनकर मेरे आखों में आशूं आ गए | क्योंकि मुझे यकीन था की मेरी बातो का उन पर कोई प्रभाव पड़ने वाला नहीं था |

मै अंतर्मुग्ध होकर सोचने लगी कि जिस परिवार में मेरा जन्म हुआ है, वह ही मेरी नियति थी,

उस कमजोर दिमाग वाले थॉमस अल्वा एडिसन की माता बहुत समझदार थी | जब कक्षा में अध्यापिका  पढ़ा रही थी उन्होंने कहा “ पक्षी आकाश में उड़ते हैं क्यों क्योंकि उनके पंख होते हैं ’’ एडिशन तुरंत खड़ा हुआ और उसने कहा “ पतंग भी तो आकाश में उड़ती है, लेकिन उसके तो पंख नहीं होते ’’

कक्षा में सभी बच्चे इतनी तेज से हंसे की अध्यापिका महोदय बुरा मान गई और एडिशन को कक्षा से ही नहीं बल्कि स्कूल से भी निकाल दिया है |

नोटिस करने की बात यह है कि जो रिपोर्ट अध्यापिका महोदया ने एडिसन के बारे में लिखी थी, एडिशन की माता ने वो कागज कभी नहीं दिखाया |

 जब एडिशन अपने जीवन की चरम प्रसिद्धि पर पहुंच चुके थे, एक दिन वे कमरे में पुरानी चीजो को ब्यवस्थित कर रहे थे, तो उन्हें अचानक वह कागज मिल गय, जो अध्यापिका महोदय ने अपनी रिपोर्ट एडिशन के बारे में लिखी थी |

उस कागज को पढ़ कर एडिशन खूब रोये | तब उन्हें एहसास हुआ कि उनकी माता कितनी धैर्यवान और बहादुर औरत थी |

मै उसी एडिसन की बात कर रहा हूँ जिनका नाम दुनिया के महान वैज्ञानिको में गिना जाता है, जिन्हों ने दुनिया को रोशनी दी, विद्दुत बल्ब का अविष्कार करके | लोगो को रोसनी तो दिखाई देती है लेकिन रोशनी के पीछे जलने वाली बत्ती को लोग भूल जाते |

मिट्टी के एक ढेले को, एक घड़े की आकृति तो माँ ही देती है , वो घड़ा जो किसी प्यासे की प्यास बुझाने का दम रखता है |

बच्चा कच्चे घड़े के सामान होता है, बच्चे के अन्दर जो भी संस्कार आते है, उसमे माता-पिता की परवरिश और घर का माहौल का बहुत बड़ा योगदान होता है | आप के शब्द बच्चे के शब्द बनते है, आप के वाक्य बच्चे के वाक्य बनते है और आप के आचरण से ही, बच्चे के अन्दर नैतिकता का विकास होता है | शब्द से वाक्य बनते है, वाक्य से विचार और विचार से ही हमारे संस्कार | इसलिए पहली पाठशाला घर और पहली टीचर, रोल मॉडल माँ ही तो है | अत: बच्चे में बदलाव चाहती है , तो खुद में बदलाव लाये, बच्चे को अच्छा संस्कार देना चाहती है तो पहले खुद संस्कारी बने | करके देखे, निश्चित ही आप को अच्छा लगेगा और आप के बच्चे में भी बदलाव देखने को मिलेगा |

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धन्यवाद !

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