8 Positive Parenting tips in Hindi । पॉजिटिव पेरेंटिंग क्या हैं।

Positive Parenting- बच्चों को अपनी जिंदगी में अच्छी मुकाम हासिल करने और उन्हें सही दिशा की ओर ले जाने के लिए पॉजिटिव पेरेंटिंग एक अच्छी पेरेंटिंग शैली है। पैरंट्स और बच्चों के साथ आपसी संबंध बनाने का यह सबसे बेहतरीन तरीका है।

Positive Parenting

पैरेंट बनना जीवन का सबसे खूबसूरत पल होता है, परंतु पैरेंट बनने के बाद उनके मन में भी कई तरह के प्रश्न होते है कि बच्चों की परवरिश किस तरीके से की जाए जिससे उनका बच्चा हर क्षेत्र में सफल हो और साथ ही एक अच्छा इंसान भी बन सके। इसी तरीके में पॉजिटिव पेरेंटिंग, परवरिश की एक अच्छी स्टाइल है। सभी पैरेंट को सबसे पहले यह जानना जरूरी है कि पॉजिटिव पेरेंटिंग क्या है।

पॉजिटिव पेरेंटिंग क्या हैं ।

पॉजिटिव पेरेंटिंग परवरिश की एक अलग शैली है, जिसमें पेरेंट्स बच्चों के साथ सकारात्मक रूप से आपसी सामंजस्य स्थापित करते हैं, जिससे उनके और बच्चे के बीच संबंध और भी गहरा हो जाता है।

पॉजिटिव पेरेंटिंग के टिप्स

बच्चों के दोस्त बने ।

माता-पिता बच्चो के पैरेंट न बनकर उनके एक अच्छे दोस्त बने। बच्चे अपनी सभी बातो को खुलकर आपके समक्ष रखेगे और वे अपनी समस्याओं में चुप न रहकर आपसे कहेंगे जिससे आपका रिश्ता बच्चो से और भी मजबूत बनेगा।

दूसरे बच्चो से तुलना न करे।

हर बच्चे एक दूसरे से अलग होते है। कभी भी अपने बच्चे कि किसी कमी को लेकर किसी दूसरे बच्चे से तुलना न करे। इससे बच्चो के दिल को बहुत ठेस पहुंचाता है, जिससे वे अपने को सबसे कमजोर समझने लगते है। और जिस बच्चे से तुलना होती है उससे घृणा करने लगते है।

प्यार से समझाएं

पैरेंट बच्चो को हर काम करने के लिए उन्हें प्यार से समझाएं। जब वे गलतियां करते है तो उन्हें उससे होने वाले नुकसान के बारे में प्यार से समझाएं। मधुर वाणी से बच्चो पर गहरा असर होता है जिससे पैरेंट और बच्चो का रिश्ता और मजबूत होता जाता है।

बच्चो पर गुस्सा न करे

बच्चो का मन बहुत कोमल होता है परंतु उनकी शैतानियां भी अधिक होती है। जोकि पैरेंट के एक्सपेक्टेशन से अलग होते है जिससे वे बच्चो पर गुस्सा करते है और साथ में उन पर हाथ भी उठा देते है। कभी-कभी घर और ऑफिस की समस्या के कारण अपना फ्रस्टेशन बच्चो को गुस्सा करके उतारते है। जिसका दुष्प्रभाव बच्चो पर पड़ता है। इस कारण पॉजिटिव पेरेंटिंग में बच्चो पर गुस्सा ना करे। उनकी गलतियों मे समझाए। जिससे बच्चो पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।

बच्चों के साथ समय बिताए

बच्चो के साथ समय बिताने का सबसे अच्छा तरीका है कि बच्चों को कही घूमने के लिए बाहर ले जाया जाए जिससे बच्चे भी खुश होंगे और दोनों में आपसी समझ और लगाव भी बढ़ेगा।

बच्चो पर अपनी ख्वाइशें न थोपे

अक्सर माता-पिता अपने ख्वाहिशों को जो वह अपनी जिंदगी में पूरा नहीं कर सके है ।उसे वह अपने बच्चों के द्वारा कराने की कोशिश करते है जिससे बच्चों में नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। पेरेंट्स कोशिश करे कि बच्चों पर अपने ख्वाइश को ना थोपे।

बच्चों को बार -बार न टोके

कई बार पैरेंट के अनुसार बच्चो के द्वारा कार्य न होने पर वे बच्चो को रोकने लगते है। बार-बार माता -पिता के टोकते रहने पर बच्चे चिड़चिड़े होने लगते हैं। बच्चों के बातो और उनके विचारों को ध्यानपूर्वक सुने। इससे दोनो के संबंध में मधुरता बनी रहेगी।

बच्चो को रुचि के अनुसार कार्य करने दे

जब बच्चे अपने रुचि के अनुसार कोई कार्य को करते है तो वे उसको करने और सीखने में अधिक प्रयत्नशील रहते है। जिससे वे नए-नए चीजों को भी सीखते है। अक्सर देखा गया है कि जो पैरेंट अपने बच्चों की रुचि के अनुसार कार्य को करने देते है तो दोनो के संबंध मधुर बने रहते है।

इस लेख में दिए गए टिप्स से पेरेंट्स अपने बच्चों की पॉजिटिव परवरिश करने मे काफी लाभकारी साबित हो सकती है। माता-पिता इस टिप्स को अपनाकर बच्चो के भविष्य को संवारने में काफी मदद मिल सकती है ।

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