पालन पोषण और नौकरी के बीच प्रबंधन | आफिस के साथ बच्चो के देख-भाल के 5 सुझाव | 5 Tips of Parenting for Working Women in Hindi| 5 Parenting tips for working mother in Hindi |5 Child care tips for working women |
आज के समय में हर महिला आत्मनिर्भर होना चाहती है, लेकिन कामकाजी महिलाओ की प्राथमिकताए और जिम्मेदारियां माँ बनने के बाद बढ़ जाती है | बच्चे की देख-भाल के साथ आफिस संभालना हमेशा से चैलेन्ज रहा है | अधिकांश कामकाजी महिलाएं बच्चों की देखभाल और अपने व्यवसाय के बीच सामंजस्य स्थापित नहीं कर पाती है। इस कारण उन्हें अपने बच्चे की देखभाल और व्यवसाय में से एक को चुनना पड़ता है। वह इसी कशमकश में रहती है कि वह अपने व्यवसाय के कारण अपने बच्चों की परवरिश ठीक ढंग से नहीं कर पा रही हैं | जिस कारण उन्हें यह भी सुनना पड़ता है कि अपने बच्चों की परवरिश से ज्यादा वह अपने व्यवसाय को प्राथमिकता दे रही है।
खुद एक कामकाजी महिला और माँ होने के नाते मैं, इस स्थिति से भली-भांति परिचित हूं | इसी समस्या के समाधान के लिए मैं पांच सुझाव आप के समक्ष रख रही, जो आप के लिए अवश्य ही मददगार साबित होंगे होंगे |
मेरे सुझाव कुछ इस प्रकार है –
1. जीवनसाथी का सहयोग
दाम्पत्य जीवन में यदि आपका जीवनसाथी प्यार, स्नेह, सम्मान और सहयोग करने वाला हो, तो आप बच्चों की परवरिश में जीवनसाथी का सहयोग ले सकती है। ऐसा बिल्कुल भी न समझे कि बच्चों की परवरिश की जिम्मेदारी सिर्फ माँ की होती, जितनी जिम्मेदारी माँ की है सामान रूप से पिता की भी उतनी ही होती है | अत: जहाँ भी अवश्यक हो अपने स्पाउस की मदद अवश्य ले | घर के काम को दोनों मिलकर बाट ले, ताकि घर पर ज्यादा समय बच्चे को दे पाए | साथ ही साथ ऑफिस में मिलने वाले वर्कलीव को दोनों अलग-अलग समय पर लेकर के, बच्चों की देखभाल या परवरिश को ज्यादा अच्छी तरह से मैनेज कर सकते है।
2. परिवार का सहयोग
आपका परिवार यदि संयुक्त परिवार है, तो आप अपने बच्चो को अपने परिवार के सदस्यों के साथ रहने दें सकती है | बच्चे दादा दादी के साथ रहकर अच्छा और सुरक्षित महसूस करते हैं, और उनकी छत्रछाया में रहने से उनके अन्दर बड़ो के प्रति आदर और सम्मान भी बढ़ता है | यदि आपका परिवार एकल परिवार है तो ऐसी स्थिति में आप किसी भरोसेमंद रिश्तेदार को बुला सकते हैं। इस प्रकार आप परिवार के सहयोग से आप अपनी दोनों जिम्मेदारियों का निर्वहन अच्छे से कर सकती हैं।
3. चाइल्ड डे केयर
छोटे बच्चों के देखभाल के लिए आज लगभग हर बड़े शहरों में चाइल्ड डे केयर की ब्यवस्था उपलब्ध हैं । ऑफिस टाइम में आप यहां पर अपने बच्चों को रख सकते हैं। चाइल्ड डे केयर ऐसी जगह होती है जहां पर बच्चों की देखभाल की जाती है | बच्चों के खाने-पीने से लेकर हर तरह से ध्यान रखा जाता है | साथ में उन्हें सुलाने ,खिलाने ,पढ़ाने की भी व्यवस्था होती है | चाइल्ड डे केयर में छोटे बच्चे से लेकर 10 साल तक के बच्चों का ध्यान रखा जाता है। यहां पर बच्चों को 6 से 8 घंटे तक रखा जा सकता है | बच्चे को वहां रखने से पहले चाइल्ड डे केयर की जानकारी पूरी अच्छी तरह कर ले | आज के समय अत्याधुनिक डिजिटल सुविधाओं से युक्त डे केयर भी उपलब्ध है | जहाँ से ऑनलाइन कनेक्ट होकर, आप अपने बच्चे की एक-एक एक्टिविटी को लाइव देख सकती है |
4. मेड का सहयोग
बच्चों की देखभाल के लिए मेड को रखना भी एक बहुत अच्छा उपाय है, परंतु मेड और आया रखने से पहले पूरा डिटेल और उसका पिछला रिकॉर्ड भी पता कर लेना चाहिए। अपने घरों में सीसीटीवी फुटेज लगा ले ताकि आप पूरे दिन की गतिविधि को देख सकें जिससे आपका बच्चा सुरक्षित रहे । अधिकांश आफिस में भी बच्चो की देख-भाल के लिए क्रेच हाउस होते है, आप उसका भी मदद ले सकती है | संभव हो तो आफिस के पास भी कमरा लेकर बच्चे को मेड के साथ रख सकती है, इससे आप खाली टाइम बच्चे कोदे सकती है |
5. पड़ोसियों का सहयोग
आज के इस भागमभाग जिंदगी में किसी के पास भी समय नहीं | फिर भी आवश्यकता पड़ने पर सबसे पहले पड़ोसी ही काम आते है | हमें पड़ोसियों से तालमेल बनाकर रखना चाहिए है, जिससे आवश्यकता अनुसार इनकी मदद ली जा सके |
अंतिम पंक्ति
भारत विश्व का जनसंख्या के हिसाब से दूसरा सबसे बड़ा देश है, जिसमे 48 प्रतिशत महिलाये है | विश्व बैंक की रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2010 से 2020 तक भारत में कामकाजी महिलाओं की संख्या 26 प्रतिशत से घटकर 19 रह गई है | ऐसा अनुमान है कि करोना महामारी के बाद यह संख्या 9 प्रतिशत और घटकर 10 प्रतिशत तक पहुच चुकी है | महिला और पुरुष में रोजगार का गैप लगभग 58 प्रतिशत है | भारत में महिलाओं की जीडीपी में भागीदारी सिर्फ 17 प्रतिशत है ,जबकि चीन में महिलाओ की जीडीपी में भागीदारी 40 से ज्यादा है | भारत 2050 तक अपने को तीसरी आर्थिक महाशक्ति के रूप में देखना चाहता है, जोकि महिलाओ की जीडीपी में भागीदारी बढ़ाये बिना संभव नहीं है | अत: काम-काजी महिलाओं की हर परिस्थितियों में मदद और प्रोत्साहन अत्यन्त अवश्यक है , ताकि परिवार, समाज और देश के विकास में अपना अमूल्य योगदान दे सके |
Author
- Kiran is a mother, teacher and author. She is postgraduate in Education and History. She writes on issues of child education, parenting, working women’s issues, life style, and more.
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